'भोज' अंगिका लोकगीत

'भोज' अंगिका लोकगीत
Angika Bhoj folk song

और खाने के लिए जब बैठते थे तो शुरू से लेकर अंत तक उनको गाली ही पड़ती थी

और अंत में जैसे खा के उठने लगते थे तो एक गाली दी जाती थी

मेरी माँ गाती थी एक

'पराय' मने 'दूर'

"जों जों समधी होलो पराय

हांथ गोड़ बांधी दिहो डेंगाय

पकड़िहो लोगो चोरवा भागल जाय"

अब गीत का मुख्य चीज यही है

अब जैसे तोहरे पापा समधी लगे तो

"ब्रह्मदेव बाबू हॉलो पराय"

नाम जोड़ते जाओ