के मोरा मोरवा के रोड़वा से मरलन रे मायनवाँ

के मोरा मोरवा के रोड़वा से मरलन रे मायनवाँ
by महेंदर मिसिर
301459के मोरा मोरवा के रोड़वा से मरलन रे मायनवाँमहेंदर मिसिर

के मोरा मोरवा के रोड़वा से मरलन रे मायनवाँ।
मोरवा भइलन कमजोरवा रे मायनवाँ
निनिया के मातल हम सूतलीं अंगनवाँ रे मायनवाँ।
निनिया भइली दुसमनवाँ रे मायनवाँ।
वंसिया बजावत अइलन कान्हा मसतानावाँ रे मायानवाँ।
ठाढ़ भलन आ के सिरहानवाँ रे मायनवाँ।
बहे पुरवइया बथे सगरो बनवाँ रे मायनवाँ।
पीयवा बसेला कवना बदनवाँ रे मायनवाँ।
कहत महेन्दर कहिया ले जइबऽ गवनवाँ रे मायनवाँ।
छूटी जइहें बाबा के भवनवाँ रे मायनवाँ।


This work is now in the public domain because it originates from India and its term of copyright has expired. According to The Indian Copyright Act, 1957, all documents enter the public domain after sixty years counted from the beginning of the following calendar year (ie. as of 2024, prior to 1 January 1964) after the death of the author.