गणपति स्तुति

रचनाकार: कमलानंद सिंह 'साहित्य सरोज'

जय जय विध्न हरन गननायक गिरजा नन्दन शुभ वरदायक सुरनर मुनि सों पुजित प्रथमहि सुभस सुभग के तुम अभिधायक। सकल कलेश विनास करन हित तेरो नाम वन्यो है सायक।। रिद्धि-सिद्धि सेवे निसिवासर तुअ गुण गरिमा के सब गायक। सुमिरत ही फल पावत चारो अधहारी प्रभु त्रिभुवन नायक।। हरि चरनन में भक्ति रहे नित कविता शक्ति बढे अतिलायक। मांगत नाथ सरोज तेरो पद जानि तोहि निज परम सहायक।।