यति सम्म प्रीति गरी गरी न यता भयें न उता भयें
यति सम्म प्रीति गरी गरी न यता भयें न उता भयें,
नत मन् लियें नत दीदियें न यता भयें न उता भयें।
नत होस् वासकि राखियो नत फूलको रस चाखियो,
नत याद भो नत स्वाद भो, न यता भयें न उता भयें।
बिनु औसरै सित भेट्नू तरबार लीकन रेट्नू,
नत छिन्दिनू, नत नछिन्दिनू, न यता भयें न उता भयें।
नत साथ बस्न सँगी भयें नत दुस्मनै सरि भै गएँ
न पुरानियाँ नत मो नयाँ न यता भयें न उता भयें।
नत खुस् भईकन प्रेम् गरी तन रिस् गरी कन मन् हरी
न यसो गरी न उसो गरी न यता भएँ न उता भयें।
This work was published before January 1, 1929, and is in the public domain worldwide because the author died at least 100 years ago. |