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आप् आज्ञा तो अब तो असमंजस तुझ तो तो हूँ हाँ अवश्य तो तो समझे अब अपने तो तो ब्राह्मण अब निश्चय कारण हरिणीयो और शृंगार क्योंकी तुझ