Page:Satti Bodi (Dr. Amrendra).pdf/40

This page has been proofread.

। बात की आयको छेकै, आठ-दस बरिस पहिलकों बात कहीं । हमरौ मालूम छै । यही नी कि लड़का गाँमे के एक हलवाय के सूनों घरों में पाँच छो छौड़ा के साथ ढुकी गेलों छेलै । तें होयवाला जमाय की असकल्ले छेलै, पाँच-पाँच ठो आरो वैमें तीन तें अपने घरों के निकलतौं । सुनवौ कथा ! सब जानवे करै छेलै कि साव जी हटिया गेलो छै, तें बेरा डुबला के बादे लौटेवाला छै, मतुर है के जानै छेलै कि कोय काम लैक सांझ होय से पहिले लौटी जैतै । आरो आरो छौड़ा सिनी तें दीवार फानी के भागी गेलै, मतर ई जवान मिठखौकों होय के चक्कर में घरे में रही गेलै । केवड़ा रॉ ताला - झिंझरी खोलै के आवाज सुनलकै, तें भागै के कोय रास्ता नै देखी के नंगधड़ंग होलें, चूल्हा के सबटा राख देहों पर ढारी लेलकै..." कहते कहते अनुकंपा आकाश दिस मूँ करी के खूब जोरों से खिलखिलैलों छेलै, आरी फेनु बचलों बात के जल्दी-जल्दी पूरा करले छेलै, "जबे देह, हाथ, मुँहों में करखी राख पोती लेलकै, ते द्वारी पर आबी के खाड़ों होय गेलै । साव जी के द्वार खोलना छेलै कि सामना के दृश्य देखी के सोचलकै प्रेते आवी के खाड़ों होय गेलों छै, से हुनी चिचियैलो लगें छड़पनिया भागलै । की घोर-द्वार देखतियै.... हिन्हें मौका मिल हैं, लड़का कमीज - पैंट चढ़ छेलै आरो फुर्र पार ।" ई बात कहतें कहतें ओकरो हँसी फेनु फुटी पड़लों छेलै, अबकी ते सत्तियो आपनों हंसी नै रोकें पारले छेलै ।

"आबे गाँव में एत्ते बड़ों बात होय गेलों छेलै, तें छुपलों केना रहतियै” अनुकंपा आपनों हँसी के जबरदस्ती रोकतें हुए कहले छेलै, “जानै के तें सावो जी के सब बात मालूम होय्ये गेलै, मतुर है सोची के कि पटवारी जी के लड़का छेकै नै कुछ बोललै । आबे यही बात लैकें जो तोहें माथ भारी करी रहलो छो, तें बूड़बकियेवाला बात नी । ”

“देखों बोदी, हमरा की कुछ कहना है । जहाँ लालदां आरो तोहें छौ, हम्में तें एकदम निश्चिन्त छी । जों कुछु चिन्ता छै, तें बस यही बात लैक कि बीहा- शादी छेकै, मानी लें लड़कावाला कुछ नहिये लेतै, तभियो घड़ी-साइकिल मांगवे नी करतै । साइकिलो में रेले। दोनों में दू हजार ते बुझवे करों। फेनु बारात दुआर ऐते, तें की भुखलों लौटतै । वहू में हजार, दू हजार राखवे करों, जो लुलुवा डुबौन भोज नहियो करै छियै, ते मरजाद राखै के बात केना हटायें पारौं। एक बात ते दोनो में से करूले पड़े ।” सत्ती के चेहरा हठासिये