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तांय नियुक्ति के पत्र नै मिली जाय, तें इखनी की कहें पारौं ।”

पंचामृत बाबू के बात सुनी के सत्ती के आँखी के लोर, मनों में उठलों खुशी के झोकों से तखनिये सूखी गेलो रहे। जिनगी में पहिले दाफी वैं शायत लाल दा के आँख उठाय के देखले छेलै, जेना पूछते रहें, “की ठिक्के कहै छो, लाल दा?" जे पंचामृत बाबू के समझ में देर नै लागलों छेलै। कहलकै, “तोरा विश्वास नै नी होलौ । जबें नियुक्ति पत्र ऐतै, तबें तें विश्वास होतौ। इखनी जो, सुती रहें। जों बिहनकी गाड़ी पकड़े लें चाहें, ते हमरे साथ निकली चलियें, नै तें खाय-पीवी के सुस्ता से निकलिए, बरबज्जी गाड़ी से। आरो सुनें, गाड़ी से उतरी के सीधे घॉर जैवे। मसूदन मंदिर आरो मनार पहाड़ देखले नै जैय्यें। फूल के बीहा- शादी बिना कोय भांगटों, दिक्कत के होय जाय, तबे जॉन देवता देवी के जॉल चढ़ाना होतौ, चढ़ते रहियें, तेल- सिनूर करना होतौ, करतें रहियें ।”

सत्ती ने लाल दा के बात चुपचाप सुनी लेनें छेलै । ओकरों चेहरा पर खुशी उपटी ऐलों छेलै, ऊ नीचें उतरें लागलों छेलै, जेना आँच पर उबलतें दूध के नीचे से सुलगतें लकड़ी हटाय लेलों गेलों रहें । बिछौना तक पहुँचला के बादी ओकरों चित्त शांत नै हुऍ पारलै । हालाँकि लाल दां जॉल चढ़ावै आकि तेल- सिनूर के बात कीय पुरानों बात के आड़ लैके नै कहले छेलै, मतुर सत्ती के मॉन बही घटना से जाय के बंधी गेलो छेलै। खटिया पर चित्त लेटली वैं देखलकै, एकदम घुप्प अन्हरिया छै, ऐंगना दिस लालटेन लै जानाहौ मुश्किल। चिमनी चनकै के भय छेलै। अन्दाज ते छेवे करलै कि ऐंगना के बाद कॉन ठियां कुइयां छै, से ओकरों मना करला के बादी, विनय ऐंगना दिस बढ़ी गेलों छेलै, जेना अन्हरिया में ओकरा सबकुछ दिखैतें रहें। कुइयां में बालटी उलटावै पलटावै के आवाज से वैं जान छेलै कि विनय कुइयाँ तांय पहुंची गेलो छै, फेनु कुइयां के पाटों पर बालटी राखै के आवाजी होलों छेलै। ऊ निश्चिन्त होवे करतियै, कि विनय के मुँहों से बेकल करी दैवाला - माय गे, माय गे - के चीख निकलें लागलों छेलै। दोनों ऐंगना से लोग दौड़ी पड़लों छेलै, आशु बाबू से पहिले हुनको पत्निये हफसली-धपसली पहुँचली छेलै। – की होलै, की होलै ? - कुहराम मची गेलै। गाँव-टोला के कै लोगो आवी गेलों छेलै, आपनो-आपनों टार्च लेनें । सत्ती तें विनय के संभालै में छेलै आरो विनय तें सत्ती के गोदी में जना छटपट-छटपट।'