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ई मामला में सलाह-मशविरा करै छियै, तें सवा बीघा जमीन के फैसला वक्ती हम बात उठावै में झिझक होते, आरो जेठ तें कभियो भी नै चाहतै कि ओकरों बारे में कोय बातो उठायें, जबकि ऊ जमीनो के लैक फैसला रुकें केना पारें ! एतना भर सोचना छेलै कि तखनिये वैं डेढ़िया पर राखलों आपनों गोड़ ऐंगनों दिस खीची लेलकै, ई बुदबुदैतें, “बीहा- शादी के लैकें जे भी फैसला करना छै, आखिर हमरै करना छै। लाल दा ते ऐतै नै, जानले छै आरो फेनु हुनका बोलावै के साहसो के करतै, केकरा नै मालूम है कि हुनी अमर के बीहा कहीं आरो पक्की करी रहलों छेलै। लड़कीवाला अच्छा दहेजो दैलें उतावला छेलै-उतावला छेलै ते लड़की जरूरे दब होते, नै तें दहेजी खूब दै आरो खूबसूरत लड़कियो, हेनों कहीं होलों छै की!”


ऐंगन लौटी के वैनें ऐंगनाहै में पढ़ते अमर के हेना देखले छेलै जेना कभियो देखले नै रहें - दाढ़ी-मूँछ सब निकली ऐलो छै, एकदम वन्नों घन्नों तें नै, मतुर आबे बीहा में देर करना ठीक नै, हीरू से हों कही दै छियै, देखा सुनी के ही नै, लिखा-पढ़ी के भी। कांही कोय भाँगटों नै लागी जाय, यै लेली देखा-सुनी के दिन ही लिखा-पढ़ी के बातो होय जैतै। की होतै, लाल दा जों ऊ घड़ी में नहिये होतै। बीहा में हुनका आवै लें विवश करी देवै। की होते, घंटा भरी बहुत कुछ बोलतै। लाल दा छेकै, बाप नाँखी करलें-धरलें है। आरो फेनु हुनी नै जानै छै कि जो हम्में हेनों करी रहलों छियै, ते आपनों लेली नै, अमर के बाबू के मनों के शांति लेली। हुनी जहाँ भी होतै, आपनों संकल्प पूरा होते देखी के कर्ते विभोर होय जैतै।

एतना सोचिये के सत्ती चित्त से प्रसन्न होय उठलै, आरी बड़का कोठरी में बिछैलो खटिया पर आवी के बैठी रहलै। ऐंगन में बच्चा सिनी नया खोड़ा घोकना शुरू करी देलें छेलै,

एक हुट्ठे साढ़े तीन

दू हुट्ठे सात

तीन हुट्ठे साढ़े दस

चार हुट्टे चौदह

पाँच हुट्ठे साढ़े सत्रह

छः हुट्ठे इक्कीस

सात हुट्ठे साढ़े चौबीस