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झटकल-झटकल आवी रहलों छियौं। की बात है, काकी? कथी लें याद करलौ?”

"कुछु खास नै। खाली गामों के हाल- समाचार जानै लें। आबें तें एक-दू घोर छोड़ी के केकरौ कन जावों आवें नै पारै छियै।” सत्ती नें असली बात के एकदम छुपैर्ते हुए कहले छेलै।

“गामों के हाल- समाचारे की, जेन्हों पहले छेलै, इखनियो होने छै। हों, सुनै में ऐलों छै, वैद्य काका के तबीअत ठीक नै छै; आबे केन्हों छै? तोरों खबर मिललै, तें सोचलियै, एक पंथ, दू काज। तोरी काम करी ऐवै, आरो वैद्य काका के हालो समाचार जानी लेवै। आयकल दुआरिये पर एत्ते काम बढ़ी गेलो छै, कि हिन्ने हुन्ने निकलै के फुर्सते कहाँ मिलै छै, काकी।”

“तोरा, जेठ के तबीयत खराब होय के बारे में के कहलकौं?” एतना पूछी सत्तीं आपनों बायां हाथ के पांची अंगुली मुंहों पर राखी लेलें छेलै।

“कहते के, काकी, सौंसे गाँव में के नै जानी रहलों छै। गाँव भरी से पूछते ऐलों छियै। हुनकों बारे में कोय एक-दूसरा से नै पूछतै, हेनों हुए पारें की? आरो तोरा है बात मालूम नै छौं कि हुनी दू-तीन दिन से अन्न-जल भी लेना छोड़ी देलें छै।"

“की ?” सत्ती के आँख आरो अंगुली सिनी के बीच दोनों ठोर फैली के रही गेलों छेलै। ऊ घुमलै आरो देहरी पर थकथकाय के बैठी रहलै।

“की, तोरा है सब नै मालूम छौं, काकी?” झिटकियां फेनु सें आपनों बात दोहरैलें छेलै।

“के कहतै, झिटकी ! केकरौ से मिलवे करै छियै कहाँ, जे कुछु सुनैतै । पता नै की होय गेलो छै हमरा; जेना केकरौ पर कुछ विश्वासे नै रही गेलों रहें । जेकरा आपनों लाल दा हेनों भाय्ये पर विश्वास नै रहें, ऊ भला केकरा पर विश्वास करें पारें ! मतर तोरा तें हमरा पर विश्वास छौं नी, झिटकी?"

“की बोलै छौ, काकी! हमें आपना पर विश्वास करौं कि नै करौं, तोरा पर विश्वास नै करौं, हेनों तें हुऍ नै पारें ।" वैंने आपनों दोनों कान दोनो हाथों से पकड़ते हुए कहलें छेलै।

“तें, एक काम करों झिटकी, तोहें आय राती से यही घरों में