दिपेश कुमार

मेरा नाम दिपेश है। मै हिन्दी पढ़ता हुँ।मुझे पढ़ना अच्छा लगता है।मेरा मातृभाषा हिन्दी हैं।मुझे खेलना अच्छा लगता हैं।मुझे अपनी तारीफ करना अच्छा नहीं लगता हैं। मुझे परियावरण कि रक्षा करना पसंद है।मै अपनी छुट्टी में कइ जगहों पर वृक्ष लगाने जाता हुँ।मेरे चाचा एक पर्यावरण रक्षा संगठन से जुड़े हुए हैं।मै भी उनके साथ वृक्ष लगाने का काम करता हुँ।मेरे माता पिता अनपढ हैं पर उन्होंने मेरी पढाई के लिये बहुत कष्ट उढाए है।मै जल्द हि अपना पढाइ करके उनकी मद्द्द करना चाहता हुं।मैं बेंगलुरु मे ५ वर्षो से रह रहा हुँ।इससे पहले है बिहार ने पढ़ रहा था।मैने कितने हि स्कुल बदले हैं।मैने कइ नय मित्र भी बनाये है।पर मेरा सच्छा मित्र विकाश हैं जो मेरे साथ १० कक्षा मे मेरे साथ पढ़ता था।आज भि मुझे उससे अच्छा मित्र नहीं मिला। मेरे बहुत मित्र है और नय मित्र भि बनाते रहता हु।पर विकाश हि ऐसा मित्र है जो मेरे कष्ट मे भी मेरा साथ देता है।

मेरा जन्म बिहार मे हुआ था।मैने अपने जीवन के कई वर्ष अपने दादीजी के साथ बितायें है।मेरा प्रार्थमिक शिक्षा वही से शुरु हुई।जब मेरे चाचा कि नॉकरी बेंगलुरु मे लग गयी तब से मैं उनके साथ बेंगलुरु मे रह रहा हुँ।मैंने अपनी १०वीं की परिक्षा और १२वीं की परिक्षा कर्नाटक बोअर्द से दिया हैं।मेरे परिवार मे कुल ६ लोग हैं।मेरे माता पिता के साथ मेरा दो भाई और एक बहन हैं।क्युकी मैं बेंगलुरु में पढ़ता हुँ मेरे माता पिता मेरे साथ नही रहते है।जब भी मुझे छुट्टी मिलती हैं मै उनके पास चला जाता हुँ।मेरा एक छोटा भाई भी मेरे साथ रह्ता हैं।जब मै बेंगलुरु नया था तो मैने बेंगलुरु कि भाषा शिखने के लिये एक कन्नडा शिक्षक से ट्युसन भि लिया था।उनकी मद्द्द से मैने कुछ हि दिनो में कन्नडा शिख लिया।