Mohana penumarti
आज भी जब मैं यह लिखने बैठी, कुछ समझ नहीं आया की क्या लिखु और कैसे बताऊ की आज मैं क्या हूँ और क्यूँ। तभी कुछ सोछ पाने के लिये गाने बजा लिये और अब समझ आय है कि संगीत हि एक ऐसी चीज़ है जो मेरे मन व दिमाग को शांत कर, कुछ सोच पाने की शक्ति देता है। बचपन से ही संगीत का शौख रहा, और ७ वर्ष संगीत सीखने के बाद अब समझ आता है की संगीत से जीवन में हमेशा ही प्रेरणा मिली है। इसके अलावा मेरी दादी, जिन्हे मैं दद्दु कहती हुँ, ने मुझे सदैव आगे बढते रहने की और अपने कार्य करते रहने की प्रेरणा दी है। कर्नाटक में हुमेशा से उनके पास ही पलि- बडी हूँ और साथ एक बडा सा परिवार; मम्मी-पापा, काका-काकिसा, भाई-बहन। हमेशा से ही इतने सारे लोगों के बीच रहने व विद्यालय में भी हमेशा से कई सारे दोस्त होने के कारण मुझे क्रोध बहुत जल्दि नहीं आता और आने पर हमेशा से ही लोगों को जलदी से माफ कर देने की आदत रही है। इन सब के बाद अब मैं क्राइस्ट महाविद्यालय मैं पढ रही हूँ। जीवन मैं हमेशा से ही मुझे दूसरे लोगों की मदद करना ना सिर्फ पसंद रहा है किंतु उससे खुशी भी मिलती है। इस ही वजह से मुझे अपनी पढाई पूरी करने के बाद एक गैर सरकारी संगठन खोलना चाहती हूँ और उन्न सभी लोगोम की मदद करनी है जिन्हें उसकी ज़रूरत हो। मैं हर वो चीज़ करना चहती हुँ जो कर पाने की मुझमे क्षमता है और अपने हर योगदान से इस दुनिया को एक अधिक बेहतर जगह बनाना चाहती हुँ। धीरे- धीरे, थोडा- थोडा सब बदल सकता है, ऐसा मेरा मानना है।